परिचय – Introduction
बौद्ध धर्म और संस्कृति में बुद्ध पूर्णिमा का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा का दिवस बैशाख के महीने में पूर्णमासी के दिन के दिन मनाया जाता है। आज हम इस बात पर चर्चा करेगें कि बुद्ध पूर्णिमा क्यों शुभ हैं ?(Why is Buddha Purnima auspicious?)
यह दिन महात्मा बुद्ध जी के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। भगवान बुद्ध, बुद्ध धर्म के संस्थापक के रूप में जाने जाते हैं। इस दिन उनके द्वारा मानवता को दी जाने वाली शिक्षाओं को भी याद किया जाता है। यह दिवस बुद्ध धर्म की अनुयायियों ओर गैर अनुयायियों के द्वारा समान रूप से बहुत ही श्रध्दा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान बुद्ध जी के द्वारा दी जाने वाले शिक्षाएं प्रेम, शांति, सद्भाव और करुणा के सिद्धांतों पर आधारित थी। बुद्ध पूर्णिमा का दिवस हमें प्रेरित करता है की हम भगवान बुद्ध जी के द्वारा शिक्षाओं और सिद्धांतो का अपने जीवन में अनुशरण करें।
इस लेख के माध्यम से हम बुद्ध पूर्णिमा के इतिहास और महत्व के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। इसके साथ, ये भी जानकारी प्राप्त करेंगे की ये दिवस पूर्णमासी के दिन ही क्यों मनाया जाता है? इसके साथ साथ जुड़े हुए रीती रिवाजों पर भी चर्चा करेंगे। दुनिया भर में बुद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा इसे अलग अलग तरीकों के साथ मनाया जाता है। इसके साथ हम बुद्ध पूर्णिमा के संदर्भ में बुद्ध जयंती पार्क के बारे में ओर इसके महत्त्व के बारे में भी चर्चा करेंगे।
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास – History of Buddha Purnima
बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध जयंती के रूप में भी जाना जाता है। यह दुनिया भर में बुद्ध धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाने वाला वार्षिक त्यौहार है। यह त्योहार भगवान गौतम बुद्ध जी के जन्म, उनके ज्ञान की प्राप्ति और उनकी मृत्यु के बारे में याद दिलाता है। बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास लगभग 2500 वर्ष पुराना है। यह दिवस सदियों से विभिन्न परंपराओं ओर अलग अलग रूपों में मनाया जाता है।
भारतीय संस्कृति और बौद्ध कैलेंडर में बैशाख के महीने में पूर्णिमा के दिन का बहुत अधिक महत्त्व है। ऐसा माना जाता है इस दिन भगवान गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था, इसी दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उनकी मृत्यु भी हुई। इन कारणों से इस दिवस को बुद्ध जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
भगवान गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में हुआ था। उनका जन्म स्थान लुम्बिनी, नेपाल में है। इतिहासकारों के अनुसार उनके माता जी रानी माया जब अपने पिताजी के घर देवदाहा जा रही थी तब उनका जन्म हुआ था।
भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति बोधगया में बोधिवृक्ष नीचे हुई थी। आम बोलचाल की भाषा में जिसे पीपल का वृक्ष भी कहते है।
भगवान गौतम बुद्ध का निधन 80 वर्ष की आयु में भारत के कुशीनगर में हुआ था। उनकी मृत्यु को “परिनिवारण दिवस” के रूप में भी मनाया जाता है। “परिनिवारण” जिसका अर्थ “पूर्णनिवारण” है।
बुद्ध जयंती का उत्सव बुद्ध परंपरा का एक अभिन्न अंग बन चुका है। इस दिन बौद्ध अनुयायियों द्वारा प्रार्थना की जाती है, विभिन्न प्रकार के रीती रिवाजों का निर्वहन किया जाता है तथा प्रसाद भी बांटा जाता है। इस दिन भगवान गौतम बुद्ध के द्वारा दुनिया और मानवता को दिए गए उनके योगदान को भी याद किया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व – Significance of Buddha Purnima
बुद्ध पूर्णिमा को, बुद्ध धर्म और बौद्ध संस्कृति में बहुत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इस दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान गौतम बुद्ध जी के जन्म, उनकी ज्ञानप्राप्ति और उनकी मृत्यु को याद किया जाता है। बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव बैशाख के महीने में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह आम तौर पर अप्रैल के अंत में या फिर मई माह की शुरुआत में पढ़ता है।
बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए उनके कैलेंडर का ये सबसे महत्वपूर्ण दिन हैं। इस दिन भगवान गौतम बुद्ध के द्वारा मानवता को दी गयी शिक्षाओं को याद किया जाता है। यह दिन ज्ञानउदय के मार्ग का भी प्रतीक है। भगवान गौतम बुद्ध ने हमें बताया है की मनुष्य का जीवन दुखों से भरा हुआ है। मनुष्य को अपने जीवन से दुखों का अंत करने के लिए आष्टांगिक मार्ग (Eightfold Path) पर चलना होगा। भगवान गौतम बुद्ध जी के द्वारा दी गई शिक्षाओं का लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव है। उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं लोगों को जीवन में अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती रहती है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन दुनिया भर मैं बौद्ध अनुयायी मेडिटेशन करते है, प्रार्थना करते हैं, सभी प्राणियों के प्रति दया ओर करुणा भाव रखने का प्राण लेते है। इस दिन लोग प्राण लेते है कि वह अपने व्यक्तिगत विकास और आत्म सुधार की दिशा में निरंतर कार्य वो प्रयास करते रहेंगे। यह दिवस सभी जीवित प्राणियों के प्रति दयालुता, प्रेम-भाव और करुणा रखने के लिए हमें प्रेरित करता है।
बुद्ध पूर्णिमा का दिन हमारे जीवन में धार्मिक महत्त्व के अलावा सामाजिक ओर सांस्कृत अहमियत भी रखता है। दुनिया में इसे बहुत श्रध्दा और उत्साह के साथ मनाया जाता है, खास कर बुद्ध धर्म को मानने वाले देशों में या फिर जहाँ पर बुद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या अधिक मात्रा में होती है। इस दिन बौद्ध अनुयायियों द्वारा शोभायात्रा निकाली जाती है, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन भगवान गौतम बुद्ध जी के द्वारा दी गयी शिक्षाओं को बढ़ावा देने के लिए सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का उत्सव – Celebration of Buddha Purnima
बुद्ध पूर्णिमा के उत्सव को बुद्धिष्ट ओर गैर बुद्धिष्ट दोनों के द्वारा सामान्य रूप से बड़ी श्रद्धा ओर उत्साह के साथ मनाया जाता है। भगवान गौतम बुद्ध जी की शिक्षाओं ओर ज्ञान के मार्ग को दर्शाने वाले बहुत से कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
सबसे आम प्रचलित तरीकों में से एक, इस दिन बौद्ध अनुयायी बौद्ध मंदिरों में जाते हैं और वहाँ पर प्रार्थना करते है। भक्तों द्वारा विशेष प्रार्थना शिविरों का भी आयोजन किया जाता है। भक्तजन बड़ी संख्या में मंदिरों ओर मठों में इकट्ठा होते हैं। वह दिए दीये और अगरबत्ती जलाते है, दीये जलाना इस बात की ओर संकेत करता है, कि समाज में अज्ञान का अँधेरा खत्म हो रहा है ओर ज्ञान का प्रकाश चारो तरफ फ़ैल रहा है।
इस दिन आध्यात्मिक कार्यक्रमों इसके अलावा सामाजिक समारोह का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन लोग भोजन ओर मिठाई आदि पकवान तैयार करते हैं, जिसे वह अपने परिवार दोस्तों के साथ साझा करते है।
दुनिया के बहुत से हिस्सों में, इस दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम के अलावा मेलों का भी आयोजन भी किया जाता है। इन आयोजनों में पारंपरिक संगीत, डांस परफॉर्मेंस ओर बौद्ध संस्कृति और कला से संबंधित साहित्य का भी प्रदर्शन किया जाता है।
बुद्ध जयंती पार्क – Buddha Jayanti Park
भगवान गौतम बुद्ध जी के द्वारा दी गयी शिक्षाओं और उनके जीवन को एक उत्सव के रूप में मनाने मैं बुद्ध जयंती पार्क जिसे बुद्ध पूर्णिमा पार्क भी कहा जाता है का एक बहुत अहम् योगदान है।
बुद्ध जयंती पार्क, दिल्ली, रिज रोड, पर स्थित है। रिज रोड, धौला कुआं, साउथ दिल्ली के पास है। बुद्ध जयंती पार्क कई एकड़ में फैला हुआ है। यह पार्क भगवान गौतम बुद्ध जी के ज्ञान प्राप्ति के 2500 वर्ष पूरे होने के स्मारक के रूप में बनाया गया है। यह पार्क डिजाइन करते हुए इन बातों का ध्यान रखा गया है, कि आने वाले लोगों को यहाँ का वातावरण निर्मल ओर शांतिपूर्ण मिले। आगंतुक यहाँ पर आकर ध्यान कर सके और भगवान बुद्ध जी के द्वारा दी गई शिक्षाओं को अपने में आत्मसात कर सके। इस पार्क की बहुत सी विशेषताएं है, जो बौद्ध दर्शन से संबंधित है। इस के साथ यहाँ पर ध्यान का केंद्र बना हुआ है। पैदल चलने के लिए पैदल पथ का निर्माण भी हुआ है। इसके साथ भगवान गौतम बुद्ध की मूर्तियां भी हैं। बुद्ध जयंती पार्क भुवनेश्वर और पटना में भी स्थित है।
वह लोग, जो बुद्ध पूर्णिमा के उत्सव को सार्थक रूप से मनाना चाहते है, उनके लिए बुद्ध जयंती पार्क एक आदर्श स्थान है। बहुत से लोग यहाँ पर प्रार्थना में भाग लेने के लिए, दीये जलाने के लिए और बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ें सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए आते हैं। यह पार्क कई सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी करता है तथा भगवान बुद्ध के जीवन ओर शिक्षाओं से जुड़ी चीजों की प्रदर्शनियों की मेजबानी भी करता है।
निष्कर्ष – Conclusion
अंत में हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार भगवान बुद्ध जी के जन्म, उनके ज्ञान की प्राप्ति और मृत्यु को याद करने के लिए दुनिया भर में बौद्ध अनुयायियों द्वारा मनाया जाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है । बौद्ध अनुयायी इसे बहुत भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार भगवान बुद्ध जी की शिक्षाओं, जीवित प्राणियों के प्रति दयालुता, प्रेम-भाव और करुणा के सिद्धांतों की याद दिलाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास लगभग 2500 वर्ष पुराना है। यह त्यौहार सदियों से विभिन्न परंपराओं ओर विभिन्न रूपों उसके साथ उनके भक्तों के द्वारा मनाया जाता है। इस दिन भारत, नेपाल और श्री लंका सहित कई राज्यों में राष्ट्रीय अवकाश होता है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व भगवान गौतम बुद्ध जी के द्वारा दी गयी शिक्षाओं मैं निहित है। यह त्यौहार आत्मबोध, दयालुता, प्रेम-भाव और करुणा पर ज़ोर देता है। आज के आधुनिक जीवन में मनुष्य को इन सिद्धांतों की सबसे ज्यादा आवश्यकता है। यह सिद्धांत मनुष्य को व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर जाने का मार्ग प्रदान करते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार हर क्षेत्र में वहाँ के सामाजिक वातावरण ओर कल्चर के अनुसार विभिन्न होता है, लेकिन ये सभी कार्यक्रम भगवान गौतम बुद्ध जी की शिक्षाओं को आत्मसात करने और उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से मनाये जाते हैं।
भगवान बुद्ध जी के द्वारा दी गई शिक्षाओं को हम अपने आस-पास कैसे आत्मसात कर सकते हैं, उसके लिए भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित बुद्ध जयंती पार्क इसका एक सुन्दर और आदर्श उदाहरण है। यह बाग अपने शांत वातावरण, खूबसूरत बाग और भगवान गौतम बुद्ध की आकर्षित करने वाली मूर्तियों के साथ मनुष्य की आंतरिक शांति के महत्त्व के बारे में बताता है।
कुल मिलाकर अंत में हम यह कह सकते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा का त्यौहार बौद्ध धर्म के विशाल ओर समृद्ध इतिहास और उनकी आध्यात्मिक परंपराओं की एक झलक प्रदान करते हैं। यह त्यौहार भगवान गौतम बुद्ध जी की दी गई शिक्षाओं जैसे कि दयालुता, प्रेम-भाव, करुणा, शांति, अहिंसा के सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात करने ओर इन पर चलने के लिए लाखों लोगों को प्रेरित करता है।
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